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Sunday, June 28, 2020

पी. वि. नरसिम्हा राव : आधुनिक युग का चाणक्य ; P.V.NARSIMHA RAO

पी. वि. नरसिम्हा राव : आधुनिक युग का चाणक्य 


पामुलापति वेंकट नरसिंह राव भारत के 9 वें प्रधानमंत्री थे।पी वी नरसिंहराव का जन्म 28 जून, 1921 को करीमनगर, आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम पी. रंगा राव और माता  का नाम रुक्मिनिअम्मा था ।इनकी पत्नी का नाम सतयम्मा राव था। नरसिंह राव भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक कुशल कार्यकर्ता माने जाते हैं।  

राजनीतिक सफर 

1982 में ज्ञानी जैल सिंह के साथ ही राष्ट्रपति पद के लिए उनके नाम पर भी विचार किया गया था। लेकिन अंत में उनके नाम पर सहमति नहीं बन पायी थी। इनका कार्यकाल 20 जून 1999  से  16 मई 1996 तक रहा।   'लाइसेंस राज' की समाप्ति और भारत की  अर्थनीति में लचीलापन इनके प्रधानमंत्रित्व काल में शुरू हुआ। इनके काल में डॉ. मनमोहन सिंह वित्तमंत्री थे।1968-71में वे आंध्र प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। 1971 से 1973 तक ये आन्ध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। 1984-85 केन्द्रीय रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला और 1985 में केन्द्र सरकार में मानव संसाधन और विकास मंत्री रहे। 
इन्हे भारतीय आर्थिक सुधारों का जनक” (Father of Indian Economic Reforms) भी कहा जाता है। इन्दिरा गाँधी के कार्यकाल के दौरान नरसिम्हा राव जी गृहमंत्री थे। 21 मई 19991 को राजीव गाँधी की हत्या के बाद कांग्रेस को 232 सीटों पर जीत मिली थी। अल्पमत की सरकार बनाने के बावजूद इन्होने अपना कार्यकाल पूरा किया था।इन्हे भारतीय राजनीती में आधुनिक चाणक्य की संज्ञा भी दी जाती है। विपक्षी दल के सुब्रमण्यम स्वामी को ‘श्रमिक मापदंड और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार’ आयोग का अध्यक्ष बनाकर उन्होंने इसका परिचय भी दे दिया था। यह भारत की  राजनीति में पहला अवसर था जब विपक्ष के किसी सदस्य को कैबिनेट स्तर का पद दिया गया था। 
 वह बेहद मुश्किल वक्त था। भारत एक राजनीतिक उथल-पुथल के  दौर से गुजर रहा था।  देश की सीमाओं पर की स्थितियां ठीक नहीं थी । थ्येनआनमन चौक( चीन ) पर घटी घटना ने पुरे विश्व को चकित कर रखा था , इराक ने कुवैत पर हमला बोल दिया था, मॉस्को में करीब 70 वर्ष पुरानी शासन व्यवस्था का अंत हो गया था । बाबरी मस्जिद और राम मंदिर को लेकर देश में अशांति का दौर चल रहा था। काश्मीर की स्थिति भी ठीक नहीं थी। बाबरी मस्जिद गिराए जाने  देश में दंगे भी हुए। इसके साथ साथ इन्होने अपनी ही पार्टी में होने वाली गुटबाजी का दंश भी झेलना पड़ा था। 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों ने भी इनकी मुश्किलें काफी बढ़ा दी थी। 
लेकिन स्थितियों से निपटते हुए उन्होंने भारत के विकास का रथ आगे बढ़ाना जारी रखा।क्योंकि इनके लिए देशहित ही सर्वोपरि था। अपनी आलोचनाओं पर ये सामान्यतः कोई प्रतिक्रिया नहीं देते थे। इन्हे सिर्फ अपने कार्य और कार्यपद्धति पर विश्वास था। उस समय हर्षद मेहता ने भी इन पर एक करोड़ के रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। सांसदों की खरीद -फरोख्त का भी इल्जाम इन पर लगा ,मगर हर स्थितियों में इन्होने कोई प्रतिक्रिया न देकर बस भारत को विकास  के पथ पर अग्रसर करते रहे।  भारत के राष्ट्रपति APJ ABDUL KALAM ने भी इनकी प्रशंसा कर  कहा था कि"यह ऐसे देशभक्त है जो देश को राजनीति से सर्वोपरी मानते है "  अटल बिहारी वाजपेयी भी इनके और इनके कार्यों के बड़े प्रशंसक थे।  इनके काल में ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष नीति  (International Monetary Fund policy) शुरू की गयी , जिसके कारण बैंकों  में होने वाले भ्रष्टाचार में काफी कमी आई थी। 
1996 में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। तब नरसिम्हा राव ने राजनीती से सन्यास के बाद कई  किताबें लिखीं जिसमे THE INSIDER NOVEL प्रमुख थी जिसमे उन्होंने अपने राजनीतिक सफर का वर्णन कर दुनिया को बहुत सारी ऐसी बातों से अवगत कराया। 

कई भाषाओं के थे ज्ञाता 

वे कई भाषाओँ के ज्ञाता थे। उनका साहित्यिक ज्ञान उन्हें और राजनेताओं से अलग करता था। उन्हें 17 भाषाओँ का ज्ञान था और संस्कृत के बड़े विद्वान थे। तेलुगु, तमिल, मराठी, हिंदी, संस्कृत, उड़िया, बंगाली और गुजराती के अलावा वे अंग्रेजी, फ्रेंच , अरबी, स्पेनिश, जर्मन और पर्शियन बोलने  और लिखने में पारंगत थे। साहित्य के अलावा उन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग जैसे विषयों में भी रूचि थी। इसके आलावा उन्हें फिल्मों से भी लगाव था। 

  विदेश नीति थी प्रशंसनीय 

विदेश नीति के तहत में इन्होने पश्चिमी यूरोप, चीन और अमेरिका से सम्बन्ध सुधारने पर बल दिया। भारत-इजराइल सम्बन्ध को और प्रगाढ़ किया। इजराइल को भारत की राजधानी दिल्ली में अपना दूतावास खोलने की अनुमति प्रदान की । आसियान देशों से भारत के संबंधों की सटीक समीक्षा कर उन्हें अपने करीब लाया। 

कश्मीर को लेकर थी स्पष्ट नीति 

तब काश्मीर को लेकर बहुत सारी चर्चाएं हुआ करती थीं। लेकिन नरसिम्हा राव की सोच सबसे अलग थी। उन्होने ही संसद में ये बिल पास करवाया था की कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।  उन्होंने उस समय संसद में अपने भाषण के दौरान कहा  था की  -" भारत और पाकिस्तान के  बीच संघर्ष की स्थिति है , और ये मतभेद की स्थिति सिर्फ इसलिए है की पूरा कश्मीर भारत हिस्सा है , और कश्मीर का कुछ हिस्सा जो उनके नियंत्रण में है ,वो हमें किसी भी हाल में वापस लेना है। " उनके इस बिल का उनके ही पार्टी के कुछ लोग विरोध कर रहे थे ,लेकिन उन्होंने इसे संसद में ध्वनिमत से पारित करवाया था। इस बिल के प्रभाव दूरगामी साबित हुए। तभी तो इन्हे भारत की राजनीती का चाणक्य कहा जाता है। 

पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव की मृत्यु  

23 December 2004 को नरसिम्हा राव का निधन श्वास लेने में काफी तकलीफ के कारण AIIMS में  हुआ। इनके निधन के पश्चात इनके अंतिम संस्कार की घटना भी काफी विवादास्पद रही। दिल्ली में हुए अंतिम संस्कार में इनके पार्थिव  शरीर को लेकर एक बहुत ही विदारक घटना घटी । जिस पर बहुत ही विवाद हुआ था। उनका परिवार उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में करना चाहता था, राव के बेटे प्रभाकर ने कहा था की, “दिल्ली ही उनकी कर्मभूमि है।” लेकिन कांग्रेस आलाकमान के निर्णय के अनुसार बाद में उनके शव को हैदराबाद भेज दिया गया। 



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