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Saturday, May 30, 2020

India-China dispute [भारत - चीन अवरोध ]

            India-China dispute  [भारत - चीन अवरोध ]



भारत चीन के बीच उत्पन्न तनाव का मुख्य कारण कई सालों से LINE OF ACTUAL CONTROL (LAC) है। इस LAC की लम्बाई लगभग 3500 किलोमीटर है। कई बार भारतीय सेना को PETROLING से रोकने की मंशा से चीन कोई न कोई विवाद खड़ा करता ही रहता है।
 भारतीय सीमा में होने वाली गश्त में रुकावट पैदा करने की चाल कोई नई नहीं है। विशेष रूप से लद्दाख और सिक्किम में LAC के करीब चीनी सेना लगातार आक्रामक रूख अपनाती रहती है। जिसका भारतीय सेना ने हमेशा ही धैर्य और वीरता के साथ सामना किया है।

        भारतीय सेना द्वारा बनाये जा रहे दौलत बेग ओल्डी रोड इस बार के तनाव का मुख्य कारण है और चीन अपनी पूरी शक्ति के साथ विरोध जता कर रोकना चाहता है। जवाब में भारत ने अपनी सेनाओं को वह तैनात कर दिया है। दोनों तरफ से सेनाओं का जमावड़ा वहां होने लगा हैऔर टकराव  की स्थिति बनी हुई है।  जून 2017 में भी डोकलाम विवाद के समय भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई थी। पिछली बार की तरह इस बार भी भारतीय सेना पीछे हटने को तैयार नहीं है।

 और ये बदलते भारत की पहचान बन गई है।  हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का यह कथन सहसा याद भी आ जाता है की न आँख उठा कर बात करेंगे न आँख झुका कर बात करेंगे बल्कि हम आँख में आँख मिला कर बात करेंगे। सेना अध्यक्ष मुकुल नरवणे ने भी (LAC) का दौरा किया और शीर्ष कमांडरों के साथ मीटिंग कर स्थिति की समीक्षा की तथा आवश्यक दिशा -निर्देश देकर यह जता दिया की भारत किसी भी चुनौती से निपटने को तैयार है। 

चीन की संदिग्ध गतिविधियां 

  1. चीन द्वारा पैंगोंग झील और गालवन घाटी में अनावश्यक सैनिकों                       की संख्या में इज़ाफ़ा करना। 
                                     2. भारतीय सेना के विरोध के बावजूद  में अपने 100 से ज्यादा टेंट                                                                 लगाना।
                                    3. LAC के पास बनकर बनाने से जुडी सामग्री का इकठ्ठा करना।
                                    4. चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारतीय सीमा में लगातार                                                                घुसपैठ करना। 

चीन का झूठ 

  1. पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय पेट्रोलिंग टीम को बंधक बनाने की बात कहना।
  2.  बंधक बनाने के बाद रिहा करने  की बात कहना।  

            ये बातें भ्रामक रूप से फैलाई गई और भारतीय सेना ने इसका पुरज़ोर खंडन किया और बताया  की ये बिलकुल भी सच नहीं है। भारतीय सेना ने यह भी स्पष्ट कर दिया की किसी भी तरह की चीनी घुसपैठ को सफल नहीं होने देंगे और अपनी गश्ती दल को और सुरक्षित व मजबूत करेंगे । 
            इस प्रकार दोनों देशों कि सैनिकों की तैनाती में इज़ाफ़ा हो रहा है। दोनों देशों की सेनाओं को LAC के पास हाई अलर्ट पर रखा है। 

 चीन की सीनाजोरी 

चीन द्वारा यह कहना की सैनिकों में तनाव की मुख्य वजह भारतीय सैनिक है जिन्होंने रॉड्स और पत्थर फेंक कर हमला किया, बिलकुल गलत है। जबकि चीन द्वारा गर्मियों के शरुआत में LAC के पास इस प्रकार की गतिविधियां करना आम बात है। जवाब में भारतीय सैनिक हमेशा उन्हें LAC के पीछे धकेलते हैं। अगर 1967 के युद्ध में भारतीय सेना के शौर्य  से वे वैसे भी चिढ़े रहते है। 

रणनीतिक महत्व:-

लद्दाख का क्षेत्र रणनैतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है।  लद्दाख के एक बड़े हिस्से पर क्रमशः चीन और पाकिस्तान का कब्ज़ा है। गालवन  नदी पर चीन का अवैध कब्ज़ा है। यह नदी काराकोरम से पहाड़ी से निकलती है। इसमें देपसांग के पठारी इलाके भी शामिल है।  और भारत ने अपनी पहुँच को बनाने के लिए सड़क निर्माण को 2019 में पूरा कर लिया। 1960  से पहले तक चीन  इसके पूर्वी छोर तक ही दावा करता था लेकिन 1962 के बाद इसके पश्चिमी किनारे तक के दावे पर अड़ा है। 1962 के युद्ध के बाद हालाँकि चीन अपने पहले वाली यानी 1960 के स्थिति में लौटी। 

चीन  की चालबाज़ी 

  1. घुसपैठ कर इलाकों को अपना बताकर दुष्प्रचार करना। 
  1. छोटे स्तर पर भी अन्य जगहों पर घुसपैठ कर भारतीय सैनिकों तथा रणनीतिकारों का ध्यान बंटाना। 
  1. तनाव बढ़ता देख अपने रूख को नरम कर लेना। 
  1. भारतीय सैनिकों  पर आरोप लगाना। 

भारतीय सेना के जवाबी कार्रवाई में विदेश  मंत्रालय की प्रतिक्रिया ने भी चीन के कस -बल ढीले कर दिए। विदेश मंत्रालय ने साफ़ लहज़े में में कह दिया की भारतीय सैनिक जो भी कर रहे है वो अपने इलाके में ही कर रहे है। भारत की यही दृढ इच्छा चीन को अब खलने  लगी है। सही भी है, क्यूंकि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं है।  कई मायनो में यह चीन से भी आगे जा चुका है और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल रहा है। 

चीन अपराजेय नहीं है:-

यह बात भारत को पता है। भारत ने जब 1967 में कुछ सैनिकों के दम पर ही चीन के 450 सैनिक शहीद कर दिए थे तो दुनिया आश्चर्य में पड़ गई थी। हालाँकि इस छोटे से युद्ध में हमारे भी 70 वीर सैनिक शहीद हुए थे और चीन बेशर्मी से इस हार की चर्चा करने से बचता रहा। जनरल सगत सिंह इस युद्ध के मुख्य नायकों में से एक थे। यह युद्ध नाथुला दर्रे के पास लड़ी गई थी। उस समय सिक्किम भारत का एक संरक्षित राज्य था। जिसकी सुरक्षा भारत के हाथों में थी।

चीन  का हठ का कोई कारण नहीं बनता क्योंकि 

  1. सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार 1865 में बने नक़्शे के अनुसार अक्साई  चिन जम्मू कश्मीर का हिस्सा है। 
  2. 1911 के बाद PRC की स्थापना के बाद भी (सनयात  सेन के नेतृत्व में )अक्साई  चिन को लेकर कोई विवाद नहीं।
  3. 1933 तक चीनी ऐटलसों में  अक्साई चिन को भारत का हिस्सा बताया गया। 
  4. आज़ाद भारत में भी अक्शाई चिन भारत का हिस्सा माना गया।  

भौगोलिक स्थिति :-


गलवान घाटी अक्साई चिन का बाहरी हिस्सा है। गलवान नदी अक्साई चिन से होते हुए श्योक नदी में मिलती है। अक्साई  चिन से होकर चीन के जिनझियांग तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।वहीँ वभारत के लिए यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि यहाँ से काराकोरम दर्रे तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।  लगभग 38000 वर्ग किलोमीटर में फैले इस इलाके के ज्यादातर हिस्से वीरान है। लेकिन रणनैतिक रूप से यह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय सोच :-

वहीँ विश्व जगत के कुछ रणनीतिकारों का मानना है की चीन की ये तनातनी केवल एक चालबाज़ी है। चीन कई मुद्दों से दुनिया का ध्यान बँटाना चाहता है। हालाँकि कुछ स्ट्रैटजिक एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है की भारत पीछे हट ही नहीं सकता है।  परिणामस्वरूप अगर चीन की यह हरकत जारी रही तो दो एशियाई ताकतवर देशों  के बीच एक सैन्य संघर्ष हो सकता है।

चीन के डराने की चाल 

चीन दुसरे देशों को हमेशा से अपनी धौंस दिखाता रहता है। हांगकांग हो या ताइवान सबको अपने जाल में फंसाकर रखा है। कई देशों को क़र्ज़ में डुबोकर अपना हित साधता रहा है। लेकिन भारत देश इसके इन चोंचलों में फंस नहीं सकता ये बात चीन को बहुत अच्छे से पता है। खासकर तब ,जब भारत अपनी एक पुख्ता पहचान विश्व भर में बना चुका है।दुनिया  के अनेकों देश अब भारत के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं , जबकि चीन को विश्व भर में संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। खासकर दक्षिण चीन सागर और कोरोना के फैलाव के मामले में। कह सकते हैं की वैश्विक स्तर पर चीन बाकि देशों के निशाने पर पहले से ही है।
चीन हांगकांग और ताइवान के मुद्दों से लोगों को विचलित करने की कोशिश कर रहा है। और साथ ही साथ वह कोरोना मामले में दुनियभर के लोगों में सदेह की परिधि में बैठा है। मशहूर SECURITY & STRATEGIC EXPERT  'टेलिस ' के अनुसार अगर भारत पीछे हटता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा ,जो चीन के विकृत मनोबल को बढ़ावा देगा।  लेकिन भारत जैसे को तैसा की नीति पर है। वैसे भी LAC पर भारत को चीन से कई गुना ज्यादा सामरिक लाभ प्राप्त है। 

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