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Monday, June 29, 2020

Prashant Chandra Mahalnobis; The great statistician प्रशांत चंद्र महालनोबिस : एक महान सांख्यिकीविद

Prashant Chandra Mahalnobis; The great statistician
प्रशांत चंद्र महालनोबिस : एक महान सांख्यिकीविद 


P.C.Mahalnobis एक बहुत ही प्रसिद्द वैज्ञानिक और सांखियकीविद थे , जिन्होंने भारत देश के कई योजनाओ में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनकी याद में 29 जून को भारत में सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है। इनके द्वारा बताई गयी Mahalnobis Distance एक statistical measurment है जिसका उपयोग सांख्यिकी के क्षेत्र में होता है। इसके साथ वे फेल्डमैन महालनोबिस मॉडल के लिए भी काफी प्रसिद्द हैं। इनके उल्लेखनीय योगदान के लिए इन्हे कई सम्मान व पुरस्कार प्रदान किये गए जिनकी संख्या भी इनकी प्रखरता के अनुसार अधिक हैं। 
  •  1944 :  ‘वेलडन मेडल’ पुरस्कार
  •  1945 :  लन्दन की रायल सोसायटी में फेलोशिप 
  •  1950 :  ‘इंडियन साइंस कांग्रेस’ का अध्यक्ष बनाया गया 
  • अमेरिका के ‘एकोनोमेट्रिक सोसाइटी’ फेलोशिप 
  •  1952 :  पाकिस्तान सांख्यिकी संस्थान का फेलोशिप 
  • 1954 :   रॉयल स्टैटिस्टिकल सोसाइटी का मानद फेलो 
  •  1957 :  प्रसाद सर्वाधिकार स्वर्ण पदक 
  •  1959 :  किंग्स कॉलेज का मानद फेलो 
  • 1957 :  अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान का ऑनररी अध्यक्ष
  •  1968  : पद्म विभूषण 
  • 1968  :  श्रीनिवास रामानुजम स्वर्ण पदक
इनका जन्म 29 जून 1893 को कोलकाता में हुआ था। इनके पिता प्रबोध चंद्र महालनोबिस ब्रह्मो समाज के एक सक्रीय सदस्य थे। इनकी माता निरोदबासिनि एक सुशिक्षित महिला थीं। इनका विवाह 27 फरवरी 1923 को निर्मल कुमारी महालनोबिस से हुआ था। 
इनके कई शिक्षक भी विश्वप्रसिद्ध लोगों में गिने जाते हैं। भारत के महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस तथा शारदा प्रसन्न दास और प्रफुल्ल चंद्र रॉय जैसे विख्यात लोग इनके शिक्षक रहे थे। इन शिक्षकों के सान्निध्य में ही इनकी प्रतिभा का विकास हुआ। मशहूर वैज्ञानिक मेघनाद साहा और विख्यात स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस इनके जूनियर थे। 
इनके ही अथक प्रयास से भारत में इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टिट्यूट की स्थापना हुई ,जो आज विश्व भर में एक ख्यातिप्राप्त संस्थान है। इस संस्थान में बड़े पैमाने पर सैंपल सर्वे का खाका तैयार किया गया था। इन्होने ही भारत के द्वितीय पंचवर्षीय योजना को तैयार किया था। आज़ादी के बाद इन्हे मंत्रिमंडल में सांख्यिकी सलाहकार बनाया गया था। इन्होने देश से बेरोजगारी के उन्मूलन के लिए तत्कालीन सरकार के लिए कई योजनाएं बनाईं थी। 
इनके पिता के ब्रह्मो समाज के एक सदस्य होने के कारण इनकी भी प्रारंभिक शिक्षा उनके ही दादा द्वारा स्थापित ब्रह्मो बॉयज स्कूल में हुई थी। इनकी माता एक शिक्षित महिला थीं जिसके कारण इनके घर में शिक्षा का वातावरण  बना रहा। 1908 में मेट्रिक पास करनेके बाद ,1912 में इन्होने प्रेसीडेंसी कॉलेज से PHYSICS HONOURS की डिग्री ली।इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से गणित विज्ञान की डिग्री हासिल की।वहीं इनकी मुलाकात विश्वविख्यात गणितज्ञ रामानुजन से हुई थी। इन्होने टी.आर. विल्सन जैसे विख्यात लोगों के साथ भी काम किया। 
भारत लौटने के पश्चात ये प्रेसिडेंसी कॉलेज में भौतिकी के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए। कुछ दिनों के बाद ये वापस लंदन जाकर बायोमेट्रिका का अध्ययन किया और मानवशास्त्र तथा मौसम विज्ञानं जैसे  विषयों में सांख्यिकी के उपयोग की जानकारी हासिल की। 
फिर इन्होने भारत लौटकर 1931 में इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टिट्यूट(ISI) की स्थापना की। जिसका रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल 1932 को किया गया। अपने अथक प्रयास से इन्होने इसका प्रशिक्षण विभाग भी स्थापित कर दिया। 1950 तक आते -आते ISI एक विश्वप्रसिद्ध संसथान के नामों में गिना जाने लगा। 1959 में इस संस्थान को INSTITUTE OF NATIONAL IMPORTANCE घोसित कर दिया गया। और इसे एक डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया गया। 

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