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Wednesday, May 27, 2020

बेरोज़गारी दर, कारण और परिणाम , unemployment rate ,

बेरोज़गारी दर,   कारण  और   परिणाम 

        आंकड़ों के अनुसार पुरुष बेरोज़गारी दर महिलाओं की अपेक्षा अधिक है। पुरे देश में पुरुष बेरोज़गारी की दर लगभग 6. 2 है जबकि महिलाओं में बेरोज़गारी दर 5. 8  के आसपास है। जबकि पुरे देश में बेरोज़गारी की दर 6 . 1  है। ये आँकड़े वित्त वर्ष 2017-2018 के है। वर्तमान में बेरोज़गारी की दर की कहीं अधिक है। कहा तो ये भी जा रहा है की बेरोज़गारी दर अपने 45 वर्ष के उच्चतम स्तर पर है। केंद्रीय साँख्यिकी कार्यालय बेरोज़गारी के आँकड़े जारी करता है।

शहरी बेरोज़गारी  

 रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कोई नयी बात नहीं। लोग बेहतर रोज़गार की तलाश में शहरों में एक बेहतर संभावना की तलाश में जाते तो हैं ,लेकिन शहरों की बेरोज़गारी दर गाँवो की तुलना में अधिक है। अगर शेरोन की बात करें तो यह लगभग 8 प्रतिशत जबकि  में गाँवो में 6 फीसदी के आसपास आंकड़ों के अनुसार है।

सरकारी पक्ष- विपक्ष

सरकार की कुनीतियों के कारण जहाँ कई लोगों को अपने रोज़गार से हाथ धोना पड़ता है वहीँ विपक्ष भी बेरोज़गारी का मज़ाक बनाने में पीछे नहीं रहता है। गत सरकारें, वर्तमान सरकार, पक्ष विपक्ष सभी कोई ठोस कदम न उठाकर सिर्फ एक-दूसरे पर अपना ठीकरा फोड़ते है।

बेरोज़गारी की परिभाषा 

देश के कार्यबल होते हुए भी उन्हें प्रचलित मजदूरी पर कार्य न मिलना बेरोज़गारी की सटीक परिभाषा है। मानसिक व शारीरिक दृष्टि से योग्य कार्यबलों को प्रचालित मजदूरी नहीं मिलने से बेरोज़गारी दर में दिनों-दिन इज़ाफ़ा हो रहा है। लोग मानसिक यातना के दौर से गुजर रहे है। हालांकि इस परिभाषा को "प्रोफेसर जे. एम. कीन्स" ने अनैच्छिक बेरोज़गारी की संज्ञा दी है।

बेरोज़गारी के कई रूप है:-

(1) चक्रिय बेरोज़गारी:- यह आर्थिक तेज़ी या ,आदि पर निर्भर करता है।

(2) मौसम पर आधारित:- यह मुख्यतः कृषि क्षेत्र में उत्पन्न बेरोज़गारी है। किसी विशेष मौसम काम या ज्यादा काम मिलना और कुछ महीनों में कोई काम न मिलना।


(3) खुली अवस्था वाली बेरोज़गारी:- श्रमबल की प्रचुरता के बावजूद कम् नहीं मिलना। ऐसी बेरोज़गारी मुख्यतः शिक्षित लोगों में ज्यादा है।


योजनायें :-

बेरोज़गारी दूर करने के लिए चलायी जा रही योजनायें भी कार्यान्वित होती नहीं दिखतीं। कुछ राज्यों की स्थिति तो बदत्तर है। जैसे -बिहार ,उत्तर प्रदेश ,पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री बेरोज़गारी भत्ते की शुरुआत की गई है। इन भत्तों का लाभ भी तो क्षणिक ही कह सकते हैं। उद्योगों को संजीवनी  प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना भी नाकाफी साबित होती दिख रही है।


बेरोज़गारी के अन्य प्रमुख कारण :-

(1) औद्योगिक क्रांति के बाद सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन।
(2) शिक्षा व्यवस्था का पश्चिमी देशों के वातावरण पर आधारित होना।  
(3) जनसँख्या में बेतहाशा वृद्धि।
(4) औद्योगीकरण की मंद प्रक्रिया।
(5) कृषि का पिछड़ापन।
(6) कुशल एवं प्रशिक्षितों की कमी।

परिणाम 

बेरोज़गारी किसी भी देश के लिए एक कलंक की तरह है। डिग्री लेकर रोज़गार की तलाश में भटकते नवयुवकों के चेरे पर निराशा स्पष्ट झलक पड़ती है। बेरोज़गारी के कारण  मानव शक्ति का नष्ट होना और आर्थिक विकास का अवरुद्ध होना एक बड़ी समस्या में परिणत हो जाता है। 

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