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Sunday, June 28, 2020

CORONA AND PRIVATE TEACHERS

CORONA AND PRIVATE TEACHERS 

कोरोना और प्राइवेट शिक्षक 


कल से हम भी कुछ और सोचेंगे !
क्या ?
हम भी सब्जी या कुछ और बेचेंगे ! और क्या ! ( मजाक करते हुए वो बोले )
क्या हुआ जी आपको ? कैसी बात कर रहे हैं ?
हाँ.... तो क्या करेंगे ? प्राइवेट काम करने वाले को कौन देखने वाला है ? खासकर प्राइवेट शिक्षक लोग को !
क्या हुआ ? इस महीने भी सैलरी नहीं मिला क्या ?
कहाँ से मिलेगा ? मार्च से बस किसी तरह चल रहा है जीवन। सब सोचता है हमलोग के पास बहुत पैसा है। और सब स्कूल वाला तो अरबपति है जैसे। पैसा ही अभिभावक लोग नहीं दे रहा है तो कहाँ से स्कूल वाला भी देगा सैलरी ?
लेकिन सब तो बोलता है की सैलरी देना स्कूल का काम है।
बोलने से क्या होता है ? स्कूल वाला के पास थोड़े न उतना पैसा होता है जो ! सब सोचता है की मेरा पैसा बच जायेगा इस साल। इसी चक्कर में पैसा जमा नहीं कर रहा है सब।
क्यों स्कूल के पास पैसा नहीं है क्या सैलरी देने को ?
तो क्या ? स्कूल का भी तो काफी खर्च है। सब स्कूल वाला थोड़े न धनवान है ?सब हर स्कूल का तुलना करता है बड़ा -बड़ा उद्योगपति वाला स्कूल से ,जिसके पास दस साल भी पैसा न आये तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यहां तो कितना ही  स्कूल बंद हो गया। सिर्फ फीस नहीं जमा करने के कारण।
फिर भी.....
फिर भी क्या... सब अपना प्रॉपर्टी बेच के थोड़े न देगा सैलरी ? इक्का दुक्का स्कूल होगा ,जिसका अपना बिल्डिंग है ,बहुत स्कूल किराया पर चल रहा है ,और किराया भी तो आप जानते ही हैं कितना है आजकल।
कुछ नहीं हुआ तो जुगाड़ ?
आप जुगाड़ की बात करते हैं ,यहाँ जान पर आफत है। हम पढ़ रहे थे सोशल मीडिया पर की दो-तीन टीचर सब्जी बेच रहा था ,बताइए जरा , वो भी बड़े शहरों के टीचर ,क्या हाल हो गया है देश का। अब क्या करेगा ,जब वेतन मिलेगा ही नहीं तो गुजारा के लिए तो यही सब न करेगा !
ओ... 
सब मायाजाल है। सब फंस जायेगा देखिएगा आप ! अभी न सब संवेदनहीन हो के बैठा है ,सब स्कूल वाला को बड़ा समझ रहा है न सब , सब फंस जायेगा।
कैसे फंस जायेगा ? सब का तो और अच्छा है न ! सब का पैसा बच रहा है तो। 
हाँ.... आप भी बोल लीजिये।। छिड़क लीजिये आप भी नमक ,घाव पर।
अरे नहीं मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है 
फिर सब पढ़ायेगा अपना उसी स्कूल में सब अपना अपना बच्चा लोग को वहीं पर जहाँ का फीस लाखों में है और क्या। अभी न सब ऐसे कर रहा है। बाद में  बहुत पछतायेगा ,आप देख लीजियेगा।
मतलब अब आप शिक्षक का पेशा छोड़ देंगे क्या ,आगे आप पढ़ें बंद करेंगे क्या ?
रहेंगे क्यों नहीं ?
तो फिर ? (मेरे इस " तो फिर " का जवाब शायद उनके पास नहीं था )
बताइये न ! लोगों के मन में क्या है ? अगर फीस नहीं भरेगा तो कैसे चलेगा ? हमलोग क्या करें ? भूखे मर जाये ?अगर एक भी शिक्षक इस वक़्त मर गया न तो सरकार को  सब समझ आ जायेगा।
कुछ नहीं समझ आएगा सरकार को ! आप उसके वोट बैंक नहीं है , सिर्फ पब्लिक है , आप हैं भी तो इतने छोटे वोट बैंक हैं ,जिससे उसको कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। 
इस बार आप सही बात बोले हैं। सबको हम लोग से ही रिलीफ चाहिए। ऐसा कैसे चलेगा ?
सब रिलीफ चाहता है ,इसमें किसी को क्यों बुरा लगेगा ?
तो ये कोई रिलीफ लेने का कोई तरीका है ? अरे , सरकार से रिलीफ मांगिये न ! यहाँ सरकार कुछ बोला ही नहीं है , सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ाते फिर रहा है सब , सरकार ये बोला ,सरकार वो बोला। कोई तरीका है क्या ये ?सब अपने मन से ही जो हो रहा वो बोल रहा है।
हम तो सुने हैं की कोर्ट बोला  है ,फीस नहीं लेना है ?
ओ....  तब मतलब की आप भी उन्ही सब में हैं जो आम का इमली समझते रहते हैं ,क्या बोला कोर्ट ? सिर्फ यही की ट्युशन  फीस लीजियेगा लेकिन दवाब नहीं बनाइयेगा। और कोई चार्ज अभी नहीं कीजियेगा। यही बोला है न कोर्ट अभी तक। लेकिन सोशल मीडिया का प्रोफेसर लोग कुछ और ही बताते फिर रहा है। प्रशासन और सरकार ,दोनों चुप्पी साध लिया है ,क्या सरकार को नहीं पता है की कैसा -कैसा अफवाह उड़ रहा है जो ?
मैंने उनको बीच में रोकते हुए बोलै.... अरे नहीं मै तो हर महीने ट्युशन फीस दे रहा हूँ , बाद में देना पड़ेगा ही मै जानता हूँ , तो बाद में एक ही बार देने में लोड हो जायेगा। बच्चा भी तो पढ़ ही रहा है , टीचर लोग ऑनलाइन पढ़ा ही रहे हैं , मेहनत  तो उनका और बढ़ गया है , क्योंकि ऑनलाइन पढाने में बहुत माथा खराब होता है  , हम समझते हैं ,बहुत मेहनत कर रहे हैं अभी सब टीचर लोग।
आप बिलककुल ठीक कर रहे हैं , हाँ हम समझते हैं की कुछ लोग परेशान होगा , जो रोज कमाने -खाने वाला है उसे होगा थोड़ा बहुत परेशानी ,लेकिन और लोग का  क्या ? यहाँ सबको बस एक बहाना चाहिए। हम ये भी जान रहे  हैं की ऑनलाइन में पढ़ने का तरीका ठीक नहीं है ,लेकिन जहाँ कुछ नहीं हो सकता है , वहां कुछ तो हो रहा है , समझ ही नहीं रहा है सब।
ये भी बात ठीक है आपकी।।।
अच्छा !!! और सुनिए जरा आप !
क्या.... ?
कुछ लोग तो ऐसा कैंपेन चला रहे हैं की " NO SCHOOL - NO FEE "  बताइये हम लोग अपना मर्जी से स्कूल बंद करके घर में बैठे हैं क्या ? अगर ये कोरोना नहीं होता तो ? कम से कम इस विपदा में लोगों को एक दूसरे के काम आना चाहिए की नहीं ?
चाहिए तो.... लेकिन 
उस पर भी अपने आपको कुछ समाजसेवी कहने वाला लोग भी उसमे शामिल हो गया है।  इसमें क्या समाजसेवा है, बताइये आप ?क्या हमलोगों का घर-वार नहीं है क्या , हमलोग समाज से बाहर के हैं क्या ? एक तो ऐसे ही हमलोग परेशान हैं , ऊपर से ये लोग भी हमलोग का परेशानी बढ़ा रहा है।
हम्म... सब वोट लेना चाहता होगा और क्या ! मै क्या कर सकता हूँ आपके लिए , बताइये !
आपलोग जैसा लोग को ये सोशल मीडिया में प्रचार करना चाहिए ,अभिभावकों में जागृति लाने का कोशिश करना चाहिए। आपलोगों का बात बहुत लोग समझेगा भी और बुझेगा भी। 
मैंने हँसते हुए कहा... कितना लोग सुनेगा ? आप एक बात समझ लीजिये , ये सोशल मीडिया है , ये दिन को रात और रात को दिन बोलता है , कोई भी आपके समर्थन में नहीं आएगा।  और उल्टा मजाक बनाएगा आपका।  हमको भला - बुरा कहेगा सो अलग। हमको तो इस मामले में आप माफ़ ही कर  दीजिये , यहाँ तो लोग रिश्तों को भी उल्टा -पुल्टा बताके आपके लिए भ्रान्ति फ़ैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इसलिए मै ऐसा नहीं करूँगा। 
देखे.... आप भी पीछे हैट गए न ! यही हो रहा है सब का यही हाल है। चलिए... कोई बात नहीं , अब शाम शाम ज्यादा हो गया है , मुझे चलना चाहिए।
मै उन्हें जाता हुआ बस देख रहा था , कितनी सारी बात उन्होंने कही थी ,यही सोचने लगा , लेकिन उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से किसी को दोषी भी नहीं कहा और अपनी बेबसी भी बयां कर गए। उनसे ज्यादा बेबस अब मै अपने आप को पा रहा था की मै भी उनके लिए कुछ नहीं कर सकता।  जबकि मैंने बात ही बात में मदद करने की बात की थी , लेकिन बड़े ही साफगोई से उन्होंने बात को बदल दिया था। सचमुच में स्वाभिमानी निकले वो, माँगा कुछ नहीं ,बस अपनी बात से ही सब को बता दिया की गरीब वो नहीं कोई और है। ऐसे शिक्षकों का स्वाभिमान ही इनकी दौलत होती होती है।  चलिए ये वक्त भी निकल जायेगा , लेकिन ये समय भी बहुत कुछ सीखा और बता रहा है। 



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